हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य की सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सरकार पर सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या के मुद्दे पर ध्यान न देने का आरोप लगाया। हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में लगातार कमी हो रही है, जो शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है।
सरकारी स्कूलों की हालत पर चिंता
भूपेंद्र हुड्डा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य सरकार सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता सुधारने में पूरी तरह विफल रही है। "एक समय था जब सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बहुत अच्छा माना जाता था, लेकिन अब हालात उलट हैं। ज्यादातर अभिभावक अब अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं," उन्होंने कहा।
निजी स्कूलों की ओर झुकाव क्यों?
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी, शिक्षकों की अनुपलब्धता, और शिक्षा का गिरता स्तर इसकी मुख्य वजह हैं। "अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो सरकारी स्कूल केवल इमारतें बनकर रह जाएंगी," हुड्डा ने जोड़ा।
आंकड़ों से पता चल रही हकीकत
भूपेंद्र हुड्डा ने सरकारी स्कूलों के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। उन्होंने इसे सरकार की नीतियों की विफलता करार दिया। हुड्डा का कहना है कि अगर सरकार शिक्षा क्षेत्र में सुधार नहीं करती है, तो इससे राज्य की युवा पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
सरकार की योजनाओं पर सवाल
हुड्डा ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में चलाई जा रही योजनाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा सुधार के नाम पर बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस परिणाम नहीं दिखाई दे रहा है। "स्कूलों में डिजिटल शिक्षा और स्मार्ट क्लासरूम की बात तो होती है, लेकिन जब स्कूलों में पीने का पानी, शौचालय और पर्याप्त शिक्षक ही नहीं हैं, तो इन योजनाओं का क्या फायदा?" हुड्डा ने पूछा।
शिक्षा पर कम बजट: मुख्य कारण
हुड्डा ने शिक्षा पर खर्च होने वाले बजट को अपर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। "अगर सरकार सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए सही तरीके से बजट खर्च करे, तो हालात बदले जा सकते हैं," उन्होंने कहा।
शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या
भूपेंद्र हुड्डा ने राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में एक ही शिक्षक को कई विषय पढ़ाने पड़ते हैं, जिससे छात्रों को सही शिक्षा नहीं मिल पाती। "अगर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाए और उन्हें सही ट्रेनिंग दी जाए, तो शिक्षा स्तर में सुधार हो सकता है," उन्होंने सुझाव दिया।
छात्रों और अभिभावकों की चिंता
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों ने भी स्कूलों की खराब हालत को लेकर चिंता जाहिर की है। कई अभिभावकों ने बताया कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं न होने की वजह से वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने पर मजबूर हैं।
सरकार का पक्ष
हालांकि, राज्य सरकार ने हुड्डा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार का दावा है कि "साक्षर भारत, समृद्ध हरियाणा" अभियान के तहत शिक्षा में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
भविष्य की रणनीति क्या होनी चाहिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए एक ठोस रणनीति बनानी होगी। इसके लिए शिक्षा क्षेत्र में ज्यादा निवेश, शिक्षकों की भर्ती, और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है।
समाप्ति
भूपेंद्र हुड्डा का यह बयान एक गंभीर मुद्दे को उजागर करता है, जो हरियाणा के विकास और उसकी नई पीढ़ी के भविष्य से जुड़ा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेती है और सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए क्या कदम उठाती है।
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