Stock Market Update:
आज के दिन भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। प्रमुख सूचकांक Sensex और Nifty दोनों ही 1.5% से अधिक गिरे।![]() |
Sensex और Nifty में गिरावट, FPI की बिकवाली और वायरस की चिंता से नुकसान |
इसका मुख्य कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा की गई बिकवाली और वायरस के संभावित प्रकोप के बारे में चिंता है।
FPI के निवेशकों ने अपनी होल्डिंग्स को कम किया, जिससे भारतीय शेयर बाजारों में भारी दबाव पड़ा और निवेशकों के बीच डर और अनिश्चितता फैल गई।
FPI की बिकवाली का प्रभाव
FPI भारतीय शेयर बाजार में एक अहम भूमिका निभाते हैं, और जब ये निवेशक अपने निवेश को बेचते हैं तो इससे बाजार में बड़ी हलचल मचती है।जब वैश्विक संकट की आशंका बढ़ती है, तो FPI अपनी सुरक्षा के लिए भारतीय बाजारों से पैसा निकाल लेते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।
वायरस की आशंका
दूसरी ओर, कोरोना जैसी महामारी के वायरस के संभावित पुनः प्रसार की आशंका ने बाजारों में और अधिक नकारात्मक दबाव डाला।निवेशक वायरस के पुनः फैलने से जुड़ी आशंका से भयभीत थे, जिससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। ऐसे में, वैश्विक बाजारों में भी गिरावट आई|
Sensex और Nifty की स्थिति
आज Sensex 1.5% से अधिक गिरकर 60,000 के आसपास पहुंच गया, वहीं Nifty भी लगभग 1.5% गिरकर 17,800 के स्तर पर आ गया। बाजार के इस नकारात्मक रुझान ने निवेशकों के आत्मविश्वास को कमजोर किया।कई निवेशक घाटे से बचने के लिए अपने शेयर बेचने को मजबूर हुए, जिसके कारण बिकवाली का दबाव और बढ़ गया।
मूल्यांकन और जोखिम
भारतीय बाजारों का मौजूदा मूल्यांकन पहले से ही ऊंचा था, और ऐसे में किसी भी नकारात्मक खबर का असर बाजारों पर तुरंत दिखाई देता है।जब FPI बिकवाली करते हैं, तो निवेशकों को एक डर पैदा हो जाता है कि कहीं यह एक और आर्थिक मंदी की शुरुआत तो नहीं है।
ऐसे में, कई निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का प्रयास करते हैं, जिससे शेयर बाजारों में और अधिक गिरावट होती है।
वायरस के असर के अलावा, अन्य कारक
वायरस के डर के अलावा, वैश्विक आर्थिक विकास में धीमी गति, अमेरिका में ब्याज दरों का बढ़ना, और अन्य राजनीतिक अस्थिरताएं भी भारतीय बाजारों पर दबाव डाल रही हैं।इन सब के बीच भारतीय निवेशकों का आत्मविश्वास कमजोर हुआ है, और उन्हें अब अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
आगे की संभावनाएं
विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय बाजारों में इस समय कुछ और गिरावट हो सकती है, लेकिन अगर FPI की बिकवाली थमती है और वायरस की स्थिति नियंत्रित रहती है, तो बाजार फिर से सुधार सकता है।हालांकि, निवेशकों को अपनी पोर्टफोलियो रणनीति पर पुनः विचार करने की सलाह दी जाती है।
क्या करना चाहिए निवेशकों को?
निवेशकों को इस समय सतर्क रहना चाहिए। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है जब बाजार गिर रहा है। लेकिन जो लोग शॉर्ट-टर्म निवेश करने वाले हैं,उन्हें जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। बेहतर होगा कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं, ताकि वे इस प्रकार के बाजार उतार-चढ़ाव से बच सकें।
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