भारत के चुनाव आयोग ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर जोर दिया है और स्पष्ट किया है कि देश में पेपर बैलेट पर लौटने की कोई योजना नहीं है।
चुनाव आयुक्त ने हाल ही में दिए गए एक बयान में कहा, "ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। इन मशीनों में किसी भी प्रकार की खामी का कोई सबूत नहीं है।"
यह बयान उन आलोचनाओं के जवाब में आया है, जो विभिन्न राजनीतिक दल और कार्यकर्ता समय-समय पर ईवीएम के खिलाफ उठाते रहे हैं।
ईवीएम बनाम पेपर बैलेट
ईवीएम का इस्तेमाल भारत में 2000 के दशक की शुरुआत से हो रहा है। इन मशीनों ने पेपर बैलेट की जटिलता और चुनाव परिणामों की घोषणा में होने वाली देरी को खत्म किया है।
पेपर बैलेट का दौर अक्सर विवादों और मतगणना में धोखाधड़ी के आरोपों से घिरा रहता था।
पेपर बैलेट में मतदाता को अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के सामने चिन्ह लगाना होता था। हालांकि, इसमें कई समस्याएं थीं जैसे-
मतगणना में देरी: पेपर बैलेट के जरिए मतगणना में दिन, यहां तक कि सप्ताह भी लग जाते थे।
धांधली और अनियमितताएं: बैलेट बॉक्स की छेड़छाड़ और फर्जी वोटिंग की घटनाएं आम थीं।
पर्यावरणीय प्रभाव: कागज के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ता था।
ईवीएम की सुरक्षा और पारदर्शिता
ईवीएम को शुरू से ही इस उद्देश्य से डिजाइन किया गया है कि यह पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करे। चुनाव आयोग ने इन मशीनों को सुरक्षित बनाने के लिए कई स्तर की सुरक्षा व्यवस्था लागू की है। इनमें शामिल हैं:
टैंपर प्रूफ डिज़ाइन: ईवीएम को इस प्रकार बनाया गया है कि इन्हें किसी भी बाहरी तरीके से हैक करना संभव नहीं है।
वीवीपैट (VVPAT): 2013 में वीवीपैट को जोड़ा गया, जो हर वोट का भौतिक प्रमाण देता है। यह मतदाता को सुनिश्चित करता है कि उसका वोट सही उम्मीदवार को ही गया है।
कड़ी निगरानी: मतदान के दौरान ईवीएम को सीसीटीवी कैमरों और चुनाव पर्यवेक्षकों की निगरानी में रखा जाता है।
चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा है कि सभी ईवीएम स्वदेशी रूप से निर्मित हैं और इनमें इस्तेमाल किए गए कंपोनेंट भारत में ही बनाए जाते हैं।
आलोचनाओं का जवाब
ईवीएम पर आरोप लगते रहे हैं कि इन्हें हैक किया जा सकता है या इनमें छेड़छाड़ संभव है। हालांकि, चुनाव आयोग और स्वतंत्र विशेषज्ञों ने बार-बार यह साबित किया है कि यह संभव नहीं है।
चुनाव आयोग के अनुसार, "ईवीएम में कोई वायरलेस कनेक्टिविटी नहीं होती, जो इसे बाहरी हैकिंग से बचाती है। इसके अलावा, मतगणना के दौरान हर मशीन का भौतिक सत्यापन किया जाता है।"
डिजिटल युग में चुनाव प्रणाली का महत्व
डिजिटलीकरण के इस युग में ईवीएम भारतीय लोकतंत्र के लिए एक मजबूत और आधुनिक आधार प्रदान करती है।
तेज़ और सटीक परिणाम: ईवीएम के जरिए चुनाव परिणाम जल्दी और सटीकता से घोषित किए जाते हैं।
धांधली रहित चुनाव: इन मशीनों के कारण फर्जी वोटिंग और मतगणना में गड़बड़ी की घटनाएं कम हुई हैं।
पर्यावरण संरक्षण: कागज के उपयोग में भारी कमी आई है।
आगे का रास्ता
हालांकि, चुनाव आयोग ने पेपर बैलेट पर लौटने से इनकार कर दिया है, फिर भी उसने यह सुनिश्चित किया है कि ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाएगा।
चुनाव आयुक्त ने कहा, "हम जनता और राजनीतिक दलों के साथ संवाद जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि चुनाव प्रक्रिया पर सभी का भरोसा कायम रहे।"
निष्कर्ष
ईवीएम ने भारतीय चुनाव प्रणाली में एक क्रांति लाई है। इसकी वजह से चुनाव प्रक्रिया तेज़, सटीक और पारदर्शी बनी है।
हालांकि आलोचनाएं और सवाल उठते रहेंगे, चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है कि ईवीएम को और बेहतर बनाया जाएगा और भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत किया जाएगा।
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