नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पूरी तरह सुरक्षित और भरोसेमंद हैं।
आयोग के एक उच्च अधिकारी ने कहा कि ईवीएम को लेकर बार-बार उठने वाले सवालों का कोई तकनीकी आधार नहीं है। "पेपर बैलेट पर वापस लौटने का सवाल ही नहीं उठता," चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट रूप से कहा।
EVM पर क्यों है भरोसा?
भारत में पहली बार 1982 में केरल के पारावूर विधानसभा उपचुनाव में ईवीएम का उपयोग हुआ था। तब से, इनका इस्तेमाल लाखों चुनावों में हो चुका है।
चुनाव आयुक्त ने कहा, "ईवीएम की डिजाइन ही ऐसी है कि इसमें किसी प्रकार की हेरफेर संभव नहीं। मशीनें केवल निर्दिष्ट प्रक्रियाओं के तहत ही काम करती हैं।"
पेपर बैलेट: क्यों संभव नहीं है वापसी?
चुनाव आयोग के अनुसार, पेपर बैलेट प्रणाली समय, संसाधन, और पारदर्शिता के लिहाज से एक चुनौतीपूर्ण विकल्प है। चुनाव आयुक्त ने बताया कि पेपर बैलेट से जुड़े विवादों और अनियमितताओं के कारण ही भारत ने इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को अपनाया।
उन्होंने कहा, "आज, ईवीएम के साथ वीवीपैट (Voter Verified Paper Audit Trail) का भी इस्तेमाल होता है, जो पारदर्शिता को और बढ़ाता है। वोटर को यह पुष्टि मिलती है कि उसका वोट सही तरीके से दर्ज हुआ है।"
आलोचनाओं का जवाब
ईवीएम पर विपक्षी पार्टियों की आलोचना कोई नई बात नहीं है। 2019 के आम चुनावों के दौरान, कई दलों ने ईवीएम पर सवाल उठाए थे।
इस पर चुनाव आयुक्त ने कहा, "हर चुनाव के बाद ऐसी बातें उठती हैं, लेकिन यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है। अब तक किसी ने भी तकनीकी रूप से यह साबित नहीं किया कि ईवीएम में गड़बड़ी संभव है।"
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
भारत उन गिने-चुने देशों में से है, जिन्होंने ईवीएम को व्यापक रूप से अपनाया है। ब्राजील, एस्तोनिया और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी डिजिटल चुनाव प्रणाली का उपयोग करते हैं।
चुनाव आयोग का कहना है कि भारत की ईवीएम तकनीक बाकी देशों की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्वदेशी है। "हमारी मशीनें इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होतीं, जिससे हैकिंग का खतरा खत्म हो जाता है," चुनाव आयुक्त ने बताया।
चुनाव प्रणाली में सुधार
चुनाव आयुक्त ने यह भी बताया कि आयोग लगातार चुनाव प्रणाली को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है। वीवीपैट की शुरुआत इसका एक बड़ा उदाहरण है।
"हमारा लक्ष्य है कि भारत की चुनाव प्रणाली दुनिया में सबसे भरोसेमंद और पारदर्शी बनी रहे।"
जनता की भूमिका
चुनाव आयुक्त ने कहा कि जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। "चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता तभी संभव है जब लोग इसे समझें और अफवाहों पर भरोसा न करें।"
चुनाव आयोग का यह बयान साफ करता है कि ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को पहले ठोस सबूत पेश करने होंगे। पेपर बैलेट पर वापस जाने का विचार, तकनीकी और प्रशासनिक दोनों दृष्टिकोण से अव्यवहारिक है।
भारत का चुनाव आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत और निष्पक्ष बनी रहे।
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